13 अक्टूबर   से कार्तिक मास प्रारंभ

 


 


_कार्तिक मास 13 से शुरू हो रहा है एक माह में कुछ भी आध्यात्मिक कार्य करने पर उसका हजार गुना फल मिलता है लेकिन साथ ही साथ अगर हम कुछ भी गलत काम करते हैं तो उसका हजार गुना नुकसान भी उठाना होता है ।
तो कार्तिक महा कल यानी 
 (13अक्टूबर - 14 नवंबर ) तक चलेगा ।


*कार्तिक मास, जिसे दामोदर मास भी कहते हैं।*


दामोदर भगवान कृष्ण का एक नाम है। 


यह मास भगवान को अत्यंत प्रिय है और इस मास में भगवान ने अधिकतम लीलाएँ की है। 
*हमें इस मास में कैसे भक्ति करनी है जिससे अधिक से अधिक फल प्राप्त कर सकें ?*


*1.* भगवान कृष्ण का एक चित्र माता यशोदा और ओखल के संग रख लें।


*2.* दामोदराष्टकम (आठ श्लोक की भगवान दामोदर कृष्ण की प्रार्थना है जिसे नित्य कार्तिक में गाना चाहिए) ऑडियो वीडियो या लिखित रुप से रख लें। 


*3.* तुलसी महारानी की विशेष पूजा इस माह में होती है। 
इसलिए तुलसी महारानी का पौधा गमले में लगा लें और गमले को अच्छे से रंगरोगन कर दें। 


*4.* तुलसी महारानी के पूजन की विधि समझ लें।


*5.* मिट्टी के दीपक खरीद लें (कार्तिक में भगवान् कृष्ण के समक्ष मिट्टी के दीप प्रज्वलित करने का विशेष महत्त्व है)
और साथ ही रुई की बत्ती, गाय का घी और तिल का तेल भी लेलें। 


*6.* अगर 10 दीप एक बार में प्रज्जवलित करने हैं तो 300 दीप ले ले। 


*7.* ब्रह्म मुहूर्त में उठे, स्नान के बाद तुलसी - पूजन (सूर्योदय से पहले)करें और तुलसी महारानी के समक्ष हरे कृष्ण महामंत्र का जप करें। 
(पवित्र कार्तिक मास में ब्रह्मा मुहुर्त में स्नान अनिवार्य है)


*8.* शाम को स्नान करके  सूर्यास्त के बाद भगवान दामोदर के समक्ष दामोदराष्टकम.....गाते हुए या सुनते हुए दीप प्रज्जलवित करें 


और साथ ही तुलसी महारानी के समक्ष भी दीप प्रज्जलवित करें इस प्रकार पूरे कार्तिक मास में ऐसा करें.....


_पवित्र दामोदर मास भगवान् कृष्ण को अत्यंत प्रिय है और इस महीने किया हुआ हरि नाम जाप, पुण्य, दान, दीप दान कई गुना फल देता है.....इसलिए वैष्णव भक्त अपने कृष्ण की प्रसन्नता के लिए सब कुछ करने को तत्पर रहते हैं।_